गठिया रोग सरल उपचार
आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने "आम" वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है।
लक्षण- जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है।
यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।
गठिया के मुख्य कारण:--
महिलाओं में एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी होने पर गठिया के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
अधिक खाना और व्यायाम नहीं करने से जोडों में विकार उत्पन्न होकर गठिया जन्म लेता है।
छोटे बच्चों में पोषण की कमी के चलते उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है फ़लस्वरूप रुमेटाईड आर्थराईटीज रोग पैदा होता है जिसमें जोडों में दर्द ,सूजन और गांठों में अकडन रहने लगती है।
शरीर में रक्त दोष जैसे ल्युकेमिया होने अथवा चर्म विकार होने पर भी गठिया रोग हो सकता है।
थायराईड ग्रन्थि में विकार आने से गठिया के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
आंतों में पैदा होने वाले रिजाक्स किटाणु शरीर के जोडों को भी दुष्प्रभावित कर सकते हैं।
गठिया के ईलाज में हमारा उद्धेश्य शरीर से यूरिक एसीड बाहर निकालने का प्रयास होना चाहिये। यह यूरिक एसीड प्यूरीन के चयापचय के दौरान हमारे शरीर में निर्माण होता है। प्यूरिन तत्व मांस में सर्वाधिक होता है।इसलिये गठिया रोगी के लिये मांसाहार जहर के समान है। वैसे तो हमारे गुर्दे यूरिक एसीड को पेशाब के जरिये बाहर निकालते रहते हैं। लेकिन कई अन्य कारणों की मौजूदगी से गुर्दे यूरिक एसीड की पूरी मात्रा पेशाब के जरिये निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिये इस रोग से मुक्ति के लिये जिन भोजन पदार्थो में पुरीन ज्यादा होता है,उनका उपयोग कतई न करें। वैसे तो पतागोभी,मशरूम,हरे चने,वालोर की फ़ली में भी प्युरिन ज्यादा होता है लेकिन इनसे हमारे शरीर के यूरिक एसीड लेविल पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं होता है। अत: इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं है। जितने भी सोफ़्ट ड्रिन्क्स हैं सभी परोक्ष रूप से शरीर में यूरिक एसीड का स्तर बढाते हैं,इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।
१) सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक ३ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
२) आलू का रस १०० मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
३) संतरे के रस में १५ मिलि काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
४) लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ ५०-५० ग्राम लें।इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। २ चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह=शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
५) लहसुन की कलियां ५० ग्राम लें।सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ २-२ ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
६) हर सिंगार के ताजे पती ४-५ नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें ३-४ सप्ताह में गठिया और वात रोग नियंत्रित होंगे। जरूर आजमाएं।
७) बथुआ के पत्ते का रस करीब ५० मिलि प्रतिदिन खाली पेट पीने से गठिया रोग में जबर्दस्त फ़ायदा होता है। अल सुबह या शाम को ४ बजे रस लेना चाहिये।जब तक बथुआ सब्जी मिले या २ माह तक उपचार लेना उचित है।रस लेने के आगे पीछे २ घंटे तक कुछ न खाएं। बथुआ के पत्ते काटकर आटे में गूंथकर चपाती बनाकर खाना भी हितकारी उपाय है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई मामलों मे फ़लप्रद सिद्ध हो चुकी है।
८) पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ २-३ माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।
९) उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।
१०) चिकित्सा वैग्यानिकों का मत है कि गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।
11) भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।
१२) गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।
१३) अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।
१४) सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर १० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है।
१५) चिकित्सा वैग्यानिकों का मत है कि गठिया रोगी को जिन्क,केल्शियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेते रहना लाभकारी है।
१६) गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थिबंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।
गठिया का दर्द दूर करने का आसान उपाय-
१७) एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर ३-४ मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह विधान रोजाना १५-२० मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है।
यह चिकित्सा लेख मूल रूप से डा.दयाराम आलोक का है और यहां कापी पेस्ट कर चोरी से लिया गया है।
ReplyDeleteबबलू उपाध्याय कोई लेखक या चिकित्सक नहीं है | इसका काम मेरे (डॉ॰द्याराम आलोक ) के लेखों की चोरी करना और अपने ब्लॉग पर कापी पेस्ट करना है| कुछ तो शर्म करो !
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